Saturday 7 March 2015

हिंदी सेवी गुरुमयुम बंकबिहारी शर्मा

हिंदी सेवी गुरुमयुम बंकबिहारी शर्मा


हिंदी सेवी गुरुमयुम बंकबिहारी शर्मा का जन्म १८९३ को नागामापाल सिंगजुबुंग लैरक में हुआ | शर्मा जी विद्याध्यन हेतु काशी में पांच वर्ष, पंजाब में दो वर्ष, नवद्वीप में तीन वर्ष और कलकत्ते (वर्तमान कोलकाता) में दो वर्ष रहें | संस्कृत, हिंदी , बांगला  भाषा पर उनका अधिपत्य था | वे अंग्रेजी, असमिया, तथा बर्मा भाषा भी जानते थे | उन्होंने कलकत्ते (संस्कृत कॉलेज) से ‘व्याकरण तीर्थ’ उपाधि प्राप्त की |
 उन्होंने अपने घर पर ललिता माधव के सहयोग से हिंदी पढ़ने का कार्य शुरू किया था | शाम के समय कक्षाएं निशुल्क चलती थीं| इस तरह बंकबिहारी शर्मा ने मणिपुर में हिंदी की आवश्यकता को जानते हुए हिनिद प्रचार कार्य शुरू किया | १९२८ को हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रयाग के सभा पति गणेश शंकर विद्यार्थी, प्रधान मंत्री कृष्णकांत पालवीय तथा परीक्षा मंत्री जगन्नाथ दास प्रसाद को उन्होंने मणिपुर में संस्थागत हिंदी प्रचार कार्य का श्रीगणेश करने के लिए कहा | फम्स्वरूप उन्होंने असम में संपन्न होने वाली हिनिद सभा में “राष्ट्रभाषा परीक्षा” देकर प्रमाणित प्रचारक बने और हिंदी प्रचार को गति देने लगे |
      शर्मा जी ने अपने जीवन यापन के लिए जॉन स्टोन हाई स्कूल नामक तत्कालीन सरकारी स्कूल में प्रधान्चार्य बने | शर्मा जी ने स्कूल की जिम्मेदारी निभाते हुए संस्कृत तथा हिनिद प्रचार करने वाले व्यक्ति रहे | द्वितीय विश्व युद्ध के कारण हिंदी तथा संस्कृत प्रचार को गति नहीं दे पाए |
बंकबिहारी शर्मा की प्रेरणा, से उसके संबंधी पंडित भागवत देव शर्मा भी हिंदी प्रचार में जुट गए | आज मणिपुर में हिंदी का जो वृहद रूप देखने को मिलता है उसमें बंकबिहारी जी की भूमिका को भुलाया नहीं जा सकता |
हिंदी सेवी बंकबिहारी शर्मा की मृत्यु 15 फरवरी १९६८ को हुए |

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