Saturday, 2 April 2016

प्रयोजनमूलक हिंदी : कार्यालयी हिंदी के प्रयोग क्षेत्र टिपण्णी

प्रयोजनमूलक हिंदी : कार्यालयी हिंदी के प्रयोग क्षेत्र टिपण्णी
भूमिका

 “यह आलेख केंद्रीय हिंदी संस्था के हिंदी शिक्षण निष्णात के पाठ्यक्रम अनुसार वैक्ल्पिक प्रशन-पत्र - 8 के रूप में प्रयोजनमूलक हिंदी के अंतर्गत परियोजना कार्य के रूप में कार्यालयी हिंदी के प्रयोग क्षेत्र टिप्पण शीर्षक पर परियोजना कार्य  है
मेरी रुचि बचपन से ही हिंदी के प्रति रही है, सर्व प्रथम मुझे हिंदी का ज्ञान मेरे पिताजी तथा मेरे पितामह से प्राप्त हुई | कुछ वर्ष पूर्व मणिपुर हिंदी परिषद से संबद्ध होकर मुझे हिंदी की सेवा करने का अवसर मिला | तब इस संस्था के कार्यालय में होने वाले हिंदी के विशिष्ट रूप को जान ने की जिज्ञासा थी | अपनी व्यक्तिगत व्यस्तता के कारण मुझे मेरी जिज्ञासा को शान करने का अवसर नहीं मिला |
केंद्रीय हिंदी संस्था के हिंदी शिक्षण निष्णात के पाठ्यक्रम अनुसार वैक्ल्पिक प्रशन-पत्र - 8 के रूप में प्रयोजनमूलक हिंदी का चयन करने का अवसर मुझे मिला और मुझे अपनी जिज्ञासा को शांत करेने के लिए एक मार्ग प्रकाश में आया | इस प्रश्न पत्र के अंतर्गत परियोजना कार्य के रूप में कार्यालयी हिंदी के प्रयोग क्षेत्र टिप्पण शीर्षक पर परियोजना कार्य प्रस्तुत है |
मेरे इस परियोजना कार्य की मार्गदर्शिका आदरणीया सुश्री वीना माथुर, अध्यापक शिक्षा विभाग, केंद्रीय हिंदी संसथान की मैं बहुत आभारी हूँ, जिन्हों मुझे मार्गदर्शन दिया और मेरे जिज्ञासा को शांत करने में सहयोग दिया |
प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से मुझे  सहयोग देने वाले आप सभी का में आभारी हूँ | आप सब को धन्यवाद|



प्रयोजनमूलक हिंदी : कार्यालयी हिंदी के प्रयोग क्षेत्र टिपण्णी




ब हम प्रयोजनमूलक हिंदी की बात करते हैं तो हमें हिंदी के विविध रूपों को समझने की आवश्यकता पड़ती है | प्रश्न उठता है कि यह विविध रूप कौन कौन से हैं जबकि भाषा तो एक ही है, बिकुल भाषा तो एक ही है पर किसी भी भाषा के प्रकार्य स्थानानुसार परिवर्तित होते रहते हैं | हिंदी के विविध रूपों के अर्थ यह परिभाषित करते हैं कि अलग-अलग स्थितियों या स्थानों में बोली जाने वाली हिंदी का स्वरूप भी अलग-अलग होता है | सामान्य बोल चल की भाषा साहित्य या सृजनात्मक लेखन की भाषा से भिन्न होती है तो कार्यालयीन भाषा में औपचारिकता की अधिकता होती है
भारतीय संविधान में हिन्दी भाषा को केन्द्रीय संघ की राजभाषा के रूप में स्वीकृति प्राप्त है, परन्तु व्यवहार में अंग्रेजी भाषा का बोल-बाला ज्यादा है। भाषा की राजनीति करने वाले राजनयिक अंग्रेजी के पक्ष में कितने भी तर्क देते रहें, इस देश का सामान्य-जन एक सम्पर्क भाषा के रूप में हिन्दी भाषा का भाषिक संरचना, व्याकरण तथा अनुवाद के धरातल पर अध्ययन आज की एक परम आवश्यकता है। प्रयोजनमूलक, प्रयुक्तिमूलक तथा व्यावहारिक आदि सम्बोधनों से होनेवाला यह भाषिक अध्ययन ही हिन्दी को राष्ट्रभाषा के वास्तविक सिंहासन पर अधिष्ठित कराने का सही और सार्थक मार्ग बन सकता है।
प्रयोजनमूलक हिंदी के प्रवातक
डॉ. मोटूरी सत्यनारायण
कार्यालयी हिंदी के स्वरुप तथा विशेषताओं की जानकारी का संबंध कार्यालयी हिंदी के प्रयोग क्षेत्र से जुड़ा  है | कार्यालयी में प्राप्त होने वाली पत्रादि को दर्ज करने से आरंभ होती है | उन पत्रादि  को कारवाई  के लिए प्रस्तुत किया जाता है; उन पर विचार किया जाता है, कुछ न कुछ निर्णय लिया जाता है, आवश्यकतानुसार उन का उत्तर दिया जाता है, आवश्यकतानुसार उन का उत्तर किया जाता है, उत्तर की प्रति भावी संदर्भ हेतु फाइल में संकलित की जाती है कार्यक्लायी में किए जाने वाले इस प्रकार के प्रयोगों की अध्ययन करना  और प्रयोजनमूलक हिंदी के प्रयोग क्षेत्र की जानकारी होना आवश्यकत है और कार्यालयी हिंदी को मेरे इस अध्ययन का आधार बनाया है |
राजकीय, सरकारी , अर्ध सरकारी और सार्वजनिक उपक्रमों के कार्यालयों में व्यवहार में होने वाली हिंदी कार्यालयी हिंदी के प्रयोग क्षेत्र जैसे  टिपण्णी, मसौदा, संक्षेप्त्न, अनुवाद, इत्यादि प्रयोगों को इस परियोजना कार्य के आध्याम से प्रस्तुत करना इस अध्यन का प्रमुख उद्देश्य है |
प्रयोजनमूलक हिंदीशब्द अंग्रेजी के फंक्शनल हिंदीका पर्याय रूप है | वास्तव  में  यह अंग्रेजी के फंक्शनल लैंग्वेज का हिंदी रूपांतर है | प्रयोजनमूलक हिंदी आधुनिक भाषा विज्ञानं की अनुप्रयुक्त भाषा विज्ञानं के अंतर्गत अत्याधुनिक उपशाखा के रूप में विकसित हुई है | ‘प्रयोजनमूलक हिंदीएक पारिभाषिक शब्द है जो  भाषा की अनुप्रयुक्त  और प्रायोगिक के निश्चित अर्थ में प्रयुक्त किया गया है |
प्रयोग के आधार पर भाषा के दो स्वरुप लक्षित होते हैं सामान्य भाषा रूप तथा विशिष्ट भाषा रूप|

सामान्य भाषा रूप :
     जिसका प्रयोग सामान्य रूप से दैनिक कार्यों में होता है |
विशिष्ट भाषा रूप :
     जिसका प्रयोग सामान्य रूप से दैनिक कार्यों के अतिरिक्त विशिष्ट कार्यों में होता है और यह विशिष्ट रूप को ही हम प्रयोजनमूलक कहते हैं |
     प्रयोजनमूलक हिंदी का विकास सन 1974 में आयोजित एक संगोष्ठी  के बाद हुआ | प्रयोजनमूलक हिंदी का अविर्भाव श्री मोटूरी सत्यनारायण के प्रयोसों द्वारा ही हुआ है |

 प्रयोजनमूलक हिंदी की परिभाषाएँ :
भारत के विभिन्न हिंदी विद्वानों ने प्रयोजनमूलक हिंदी की कई परिभाषाएँ दी हैं वे निम्वर प्रस्तुत हैं

डॉ. मोटूरी सत्यनारायण :
     जीवन की आव्यश्क्ताओं की पूर्ति के लिए उपयोग में लायी जाने वाली हिंदी ही प्रयोजनमूलक हिंदी है |

डॉ. रघुवीर सहाय:
प्रयोजनमूलक हिंदी की परिकल्पना यह मानकर चलती है कि वह एक ऐसी शब्दावली होगी जो ज्ञान के सम्प्रेषण में काम आएगी और इसलिए बाकी शब्दावली से भिन्न होगी या उसपर आश्रित नहीं होगी |
प्रोफ. न. वी. राजगोपालन :
     प्रयोजनमूलक भाषा, भाषा का वह रूप है, जिसका प्रयोग किसी प्रयोग विशेष अथवा कार्य विशेष के संदर्भ में होता है |

डॉ. शिवेंद्र वर्मा :   
     प्रयोंमुलक हिंदी से तात्पर्य विषयबद्ध एवं परिस्थितिबद्ध हिंदी  भाषा रूप से है |

डॉ. महेंद्रसिंह राणा :
     प्रयोजनमूलक हिंदी से तात्पर्य है हिंदी का वह प्र्युक्तिपर्क विशिष्ट रूप जो विषयगत, भूमिकागत, संदर्भगत प्रयोजन के लिए विशिष्ट भाषिक संरचना में प्रयुक्त किया जाता है और जो प्रशासन, विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी के अनेक विधि क्षेत्रों का कथ्य को अभिव्यंजित करने में सक्षम है |

विद्वानों द्वारा प्रयोजनमूलक हिंदी का वर्गीकरण :
कई हिंदी विद्वानों ने प्रयोजन मूलक हिंदी को निम्नप्रकार के रूपों वर्ग्रिकृत किया है

डॉ. भोलानाथ तिवारी का वर्गीकरण :
     डॉ. भोलानाथ तिवारीने प्रयोजनमूलक हिंदी के मुख्य 9 (नौ) भेद बताये हैं
बोलचाल हिंदी:
व्यापारी हिंदी : मंडियों की भाषा, दलालों की भाषा, सत्ताबज़र की भाषा
कार्यालयी हिंदी : विभिन्न कार्यालयों में भाषा के स्तर पर कई तरह के अंतर होते हैं |
शास्त्रीय हिंदी : संगीत शास्त्र, काव्यशास्त्र, योगशास्त्र, दर्शन शास्त्र, राजनीति शास्त्र|

वैज्ञानिक तथा तकनीकी हिंदी :
इंजीनियरिंग, बढ़ईगिरी, प्रेस, फैक्ट्री, लुहारी, मिल आदि |
समाजी हिंदी :
सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा व्यवहृत होने वाली हिंदी|
साहित्यिक हिंदी :
कविता, कला और साहित्य की विभिन्न विधाओं की भाषा
 प्रशासनिक हिंदी :
प्रशासनिक कार्यों केलिए प्रयुक्त हिंदी

जन संचार माध्यम :
रेडियो, टेलिविजन, पत्रकारिता, विज्ञापन आदि संचार माध्यमों की हिदी उपर्युक्त सभी प्रकार की शब्दावलियों को विषय के संदर्भ में स्वीकार करती है। भाषा वैज्ञानिक हेलिडे ने प्रयोजनमूलक हिदी की प्रयुक्ति के मुख्य तीन पहलु माने हैं-
वार्ता-क्षेत्रः इसमें यह देखा जाता है कि भाषा का प्रयोग किस विषय में किया जा रहा है। अर्थात् विषय-क्षेत्र के द्वारा भी प्रयुक्तियों का निर्माण और निर्धारण होता है। जैसे, कार्यालय, वाणिज्य, विज्ञान, इंजिनियरी, पत्रकारिता आदि में प्रयुक्त शब्द मूलतः विषयाश्रित होते हैं।
वार्ता-प्रकारः इसमें यह देखा जाता है कि भाषा का प्रयोग  मौखिक रूप में किया गया है या लिखित रूप में। इन दोनों रूपों में अंतर होता है। आम व्यवहार की भाषा मौखिक होती है जो सुव्यवस्थित नहीं होती। जबकि लिखित भाषा व्यवस्थित व परिनिष्ठित होती है। कार्यालयी और तकनीकी भाषा लिखित होती है तो आकाशवाणी एवम् दूरदर्शन की भाषा लिखित ही होती है किन्तु उसका पठित या मौखिक रूप ही सामने आता है।
वार्ता-शैलीः आपसी संबंधों के आधार पर भी भाषा के रूप बदलते रहते हैं। जैसे, शिक्षक-विद्यार्थी  के बीच, वकील और असील के बीच, यजमान और अतिथि के बीच। इस दृष्टि से भाषा की पाँच शैलियाँ मानी गई हैं- १. परंपरागत २. औपचारिक ३.सामान्य ४. अनौपचारिक और  ५. अंतरण।

डॉ सत्यनारायण का वर्गीकरण :. मोटूरी
     दक्षिण भारत के हिंदी विद्वान डॉ. मोटूरी सत्यनारायण ने प्रयोजनमूलक हिंदी के छ: भेद मने है
 सामान्य सम्प्रेषण माध्यम
सामाजिक
व्यावसायिक
कार्यालयी
तकनीकी
सामान्य साहित्य

 डॉ. ब्रजेश्वर वर्मा का वर्गीकरण :
     डॉ. ब्रजेश्वर वर्मा ने प्रयोजनमूलक हिंदी के मुख्य दो भेद किए हैं
·        कोर हिंदी (Core Hindi)
·        एडवांस हिंदी (Advance Hindi)


कोर हिंदी के चार उपभेद है

कार्यालयी हिंदी कार्यालय प्रशासन के लिए प्रयुक्त
          (Official Hindi for Office administration)

व्यावसायिक हिंदी वाणिज्य गतिविधियों के लिए
(Commercial Hindi for Commercial Administration)

तकनीकी तथा बिधि व्यवसाय में प्रयुक्त
(Technical Hindi for Technical Variations including Legal profession)

समाजी हिंदी  (Socialised Hindi)
एडवांस्ड हिंदी को भी डॉ. वर्मा ने चार उपभेदों में बांटा है

प्रयोजनमूलक हिंदी की विशेषताएँ

भारतीय संविधान ने राजभाषा के रूप में हिंदी की स्वीकृति होने के बाद हिंदी के व्यवहारपरक पक्ष की ओर विद्वानों का ध्यान गया | विद्वानों का विचार था कि जबतक प्रयोग और कामकाज के स्तर पर हिंदी क व्यवहार नहीं होगा, तबतक  इसकी प्रगति अधूरी ही मानी जाएगी | यह प्रयोजनमूलक हिंदी उसी हिंदी का ठोस विस्तार और नए रूप मेंपरिवार्द्धन है | यह  उसी राजभाषा हिंदी का अनिवार्य अंग है | कुल मिलकर यह समृद्ध उत्कर्ष और स्वायत उपलब्धि है |
     प्रयोजनमूलक भाषा का प्रयोग हम घर के भीतर दैनिक बोलचालकी भाषा के रूप में नहीं करते | वस्तुतः विशिष्ट अवसरों पर विशिष्ट प्रयोजन के लिए ही हम इस भाषा का प्रयोग किया जाता है | प्रयोजनमूलक हिंदी में तकनीकी एवं पारिभाषिक शब्दावली का प्रयोग अनिवार्य रूप से विद्यमान रहता है | जो उसकी भाषिक विशिष्टता को रेखांकित करता है | प्रयोजनमूलक हिंदी की भाषा सटीक, सुस्पष्ट, गम्भीर, वाच्यार्थ प्रधान, सरल तथा एकार्थक होती है और इसमें कहावतें मुहावरें, अलंकार तथा उक्तियों आदि का प्रयोग नहीं किया जाता है |
प्रयोजनमूलक हिंदी आज इस देश में बहुत बड़े पैमाने पर प्रयुक्त  हो रही है | केंद्र और राज्य सरकार के बीच संवादों का पुल बनाने में आज इसकी भूमिका को एकरा नहीं जा सकता | आज इसने कंप्यूटर, दूरदर्शन, रेडियो, समाचार पत्र, डाक, जन संचार के माध्यमों को अपनी ओर लेलिया है, इतना ही नहीं, शिक्षा, शेयर बाज़ार, रेल, हवाई जहाज, बीमा उद्योग, बैंक, सेना, खेल-कूद, तकनीकी एवं वैज्ञानिक क्षेत्रों के साथ विभिन्न हिंदी माध्यम से प्रशिक्षण देने वाली महाविद्यालय, सरकारी तथा, अर्धसरकारी कार्यालय आदि में प्रयुक्त होकर अपनी महत्व को स्वतः सिद्ध कर दिया है |



प्रयोजनमूलक हिंदी के विविध आयामों में कार्यालयी हिंदी  का स्थान प्रमुख है | सरकारी तथा गैर सरकारी कार्यालयों में पत्रादि संबंधी लिखा पढ़ी काम जिस भाषा में किया जाता है, उसे कार्यालयी भाषा कहते हैं| इसी अवधारणा के आधार पर कार्यालयों में प्रयुक्त होने वाली भाषा माध्यम में हिंदी का जो प्रयोग होता है, उसे कार्यालयी हिंदी कहते हैं|
     कार्यालयी हिंदी में औपरिकता की अधिकता होती है और बोलचाल की भाषा से एकदम भिन्न होती है | कार्यालय में कामकाज करने के लिए एक सुनिश्चित पद्धति का पालन करना पड़ता है | यह पद्धति कार्यालय में प्राप्त होने वाली पत्रादि को दर्ज करने से आरंभ होती है |
     भाषा के स्वरूपगत विशेषताओं के आधार पर कार्यालयी हिंदी या प्रशासनिक हिंदी अथवा राजभाषा हिंदी यह तीनो शब्द कार्यालयों में प्रयुक्त होनेवाली  इस हिंदी को कहते है | विभिन्न कार्यालयों में प्रयुक्त हिंदी में व्याकरण, शब्द विकास व वाक्य संरचना की दृष्टि से पर्याप्त अंतर दिखाई देता है | विधि एवं न्यायालयों में जिस हिंदी का प्रयोग करते हैं उसका प्रयोग और बैंक अथवा दूसरे प्रकार के कार्यालयों में नहीं दिखाई देता, यहाँ तक की सरकारी व गैर सरकारी स्तर पर भी राज्य व केंद्र सरकार में स्थित कार्यालयों में भी प्रयोग व व्यवहारर के धरातल पर भाषाई अंतर दिखाई देता है |

कार्यालयी हिंदी का प्रयोग क्षेत्र
कार्यालयी में विभिन्न प्रकार के पत्रादि आते है तथा उसका कार्यालय में सम्बंधित अधिकारीयों से होकर लिपिक तक, लिपिक से लेकर अन्य कर्मचारी तक, कार्यालयी हिंदी में उसपर टिप्पणी, प्रदिवेदन आदि होते हैं | प्रयोग के आधार पर कार्यालयी हिंदी के प्रयोग क्षेत्र निम्न प्रकार विभक्त किया जा सकता है |

टिप्पण :
     कार्यालय में होने वाले लेखन रूप में सुझाव, संकेट, निर्देश दर्ज किए गए तथ्य, सूचनाएँ आदि को टिपण्णी कहा जाता है | टिप्पणी लेखन को टिप्पण कहा जाता है |

प्रारूपण :
     पत्र का कच्चा अथवा अंतिम रूप किसी पत्रादि का प्रारूपण तैयार करना ही प्रारूपणकहलाता है | कार्यालयी हिंदी के क्षेत्र में प्रारूपण को मसौदा लेखन भी कहा जाता है |

संक्षेपण :
किसी विश्तृत विवरण, विश्तृत आख्या, वक्तव्य, प्रतिवेदन, पत्र व्यवहार तथा लेखन आदि के तथ्यों एवं निर्देशों का सुनियोजित, सुरुचिपूर्ण संयोजन और समस्त अनिवार्य, उपयोगी तथा मूल तत्थ्यों का प्रभावपूर्ण संक्षिप्त संकलन को संक्षेपण कहलाता है |
प्रतिवेदन :
     सरकारी कामकाज के संबंध में जाँच  तत्थ्यन्वेशन सुझओं आदि का विस्तृत विवरण प्रदान करना प्रतिवड़ा कहा जाता है | प्रदिवेदन में वह सुचना या जानकारी प्रस्तुत की जाती है, जो सार्वजनिक रूप में यथातत्थ्य  ज्ञात नहीं होती, किन्तु प्रतिवेदन प्रस्तोता एक या एकाधिक व्यक्ति/आयोग/समिति या माडल, उससे सम्बंधित व्यक्तियों या सरकार ता तथ्यों को प्रमाणिक रूप से यथा तथ्य प्रस्तुत करने का भरसक प्रयाक करते हैं |

अनुवाद :
कार्यालयी से सम्बंधित विविध प्रकार के साहित्य का अनुवाद सामान्यतः इस साहित्य के अंतर्गत प्रशासन कार्यालय, डाक-घर कार्यालय, रेल कार्यालय, आकाशवाणी एवं दूरदर्शन कार्यालय जैसे कार्यालयों के कागजात को सम्मिलित किया जाता है |

     कार्यालयी भाषा में जितना अधिक औपचारिकता का निर्वाह किया जाता है उतना व्यवहारिक जीवन के किसी क्षेत्र में नहीं देखा जाता | जैसे परिवार तथा समाज में संभाषण के समय वक्ता तथा श्रोता के स्तर-भेद के आधार पर कुछ औपचारिकता का निर्वाह आवश्यक है उसी प्रकार प्रशासनिक स्तर पर हर समय औपचारिकता का पालन स्तर भेद  दृष्टि से परमावश्यक है |



कार्यालयी हिंदी का प्रयोग क्षेत्र टिपण्णी

सरकारी कामकाज में टिप्पण का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है अथवा दुसरे शब्दों में कहा जा सकता है की टिप्पण सरकारी कामकाज को संचालित करने का मुलभुत सोपान है

     टिपण्णी उन विवरणों, विचारों और सुझावों को कहा जाता है जो विचाराधीन पत्रादि के निस्तरण को सरल और सुबोध बनाने के लिए व्यवहार में ले जाते हैं| टिपण्णी के  ही अंतर्गत पूर्व पत्रों का संक्षेप, निर्णयाधीन प्रश्नों का विवरण और विश्लेषण तथा तत्संबंधी कार्यवाही आदि का भी उल्लेख उन बातों को संक्षिप, स्पष्ट और तर्क संगत रूप में प्रस्तुत करना है | जिस पर निर्णय देना होता है | साथ में उन तथ्यों की ओर  भी संकेट कर दिया जाता है| जो निर्णय दें में सहायक सिद्ध होते हैं|

टिपण्णी की परिभाषा
डॉ. दंगल झाल्टे :
सरकारी कार्य प्रणाली में विचाराधीन कागज या मामले के बारे में उनके निपटान हेतु सुझाव या निर्णय देने के परिणाम स्वरुप अभिव्यक्तियाँ फाइल पर लिखी जाती है | उन्हें टिपण या टिप्पणी कहते हैं |

डॉ. गु. मो. खान :
प्रतिदिन आए हुए आवतियों को निपटने के लिए टिप्पणी का प्रयोग किया जाता है | दफ्तरों में पत्रों अथवा अन्य माध्यमों से जो विभिन प्रस्ताव या समस्याएं आती है उनके अंतिम निपटान के लिए लिखित कार्यवाही की जाती है, उसे टिपण्णी कहते हैं|
डॉ. महेंद्र सिंह राणा :
     कार्यालयी में बाहर से आनेवाली पत्र आदि अथवा कार्यालयी के ही कर्मचारियों द्वारा दिए गए विविध प्रकार के प्रार्थना पत्रादि पर सक्षम अधिकारी को उस पर यथावश्यक निर्णय लेने में सहायता देने के उद्देश्य से उस विषय से संबंधित  कार्यालय निति, कार्य की स्थिति के अनुरूप लिखित रूप में दी जानेवाली जानकारी (सुझाव, संकेत, निर्देश दर्ज़ किए गए तथ्य, सूचनाएँ) को टिपण्णी (नोट) कहा जाता है |

डॉ. हरिमोहन 
     टिप्पण, टिपण्णी, टीप जैसे शब्द अंग्रेजी के “Noting”  शब्द के अनुवाद के रूप में प्रचलित हैं | “टीपशब्द इसी अर्थ में नोटके स्थान पर प्रयुक्त होता है| वर्तमान कायालय अंग्रेजी की दें है | कार्यालयी में प्रयुक्त नोटिंग{ शब्द के मूल में लैटिन nota पुरानी लैटिन “gnadcere (to know) है, जो marks,  sign, writer character, critical remark के अर्थो में चलता |
     नोटशब्द का प्रयोग एबस्ट्रेक्ट, ब्रीफ रिकार्ड या स्टेटमेंट के अर्थ में बहुत पहले से (लगभग 15 वी  शताब्दी से) किया जा रहा है | आगे चलकर हम इस शब्द के अर्थ में कमेंट (comment) एनोटेशन (annotation), संक्षिप्त-पत्र के भाव में विस्तार हो गया |

टिपण्णी का क्षेत्र
टिपण्णी का क्षेत्र कार्यालय है | कार्यालय चाहे सरकारी हो, अर्ध सरकारी हो अथवा व्यापारिक संस्था का हो , टिपण्णी का विशेष प्रचालन नहीं है, हिंदी सरकारी कार्यालयों में टिपण्णी की  स्थिति  अपरिहार्य रूप में स्वीकार की जाती है | सरकारी सचिवालय तथा लोक सेवा आयोग के कार्यालय आदि में इसका विशेष प्रचालन है |

टिप्पणी का उद्देश्य
सभयता के विकास के साथ-साथ मानव जीवन की व्यस्तता  दिन प्रति दिन बढ़ती जाती है | समयाभाव की समस्या सभी के सामने रहती है जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में पत्र व्यवहार अपरिहार्य हो गया है | सरकारी कार्यालयों में विशेष रूप से असंख्य पत्रों का आदान प्रदान हो है | उन्हीं पत्रों को कम समय और सरल विधि से निबटाने के लिए टिपण्णी की आवश्यकता रहती है | पत्रों में वर्णित विषय से संबंधित प्रश्नों समस्याओं का विश्लेषण, तत्संबंधित पूर्व निर्णय तथा आवश्यक सुझावों आदि का उल्लेख टिप्पणी में किया जाता है, जिससे कम से कम  समय में अधिक पत्रों को निपटाया जा सके |
टिपण्णी का प्रस्तुतिकरण
     प्राय: कार्यालय के किसी ज्येष्ठ लिपिक द्वारा प्रधान लिपिक के समक्ष टिप्पणी प्रस्तुत की जाती है | लिपिक सर्व प्रथम टिपण्णी का जाँच करता है और प्रस्ताव संग्लगनो से मिलान करता है | यदि आवश्यकत समझता है तो अपने सुझाव भी प्रस्तुत करता है | अन्यथा अपनी सहमति  के साथ उसे  वह अग्रसरित कर देता है | इसके बाद प्रधान लिपिक पत्रबंध के साथ अपनी टिप्पणी सम्बंधित अधिकारी की सेवा में प्रस्तुत कर देता है | प्रधान लिपिक द्वारा प्रस्तुत टिप्पणी को  विभागीय अधिकारी भली प्रकार देखता है| तत्थ्यों के समर्थन में जो आदेश अथवा नियम प्रमाण स्वरुप प्रस्तुत किया है उनका वह भली भांति निरीक्षण करता है | यदि ससमस्या का समाधान उसी के आदेश से संभव होता है तो वह तत्काल उस पर अपना निर्णयात्मक आदेश लिख देता है अन्यथा उत्तराधिकारी से आदेश प्राप्त करने के  लिए पत्रबंध को भेज देता है |
टिपण्णी के प्रकारों में सामान्य टिपण्णी सरकारी कार्यालयीन में जो पत्र पहली बार प्राप्त होते हैं, उन्हें प्रस्तुत करने की एक प्रक्रिया के रूप में जो टिप्पण लिखे जाने वाली टिपण्णी  स्वतः स्पष्ट टिपण्णी: यह वह  जो टिपण्णी होती है जिसमें मामले के बारे में विस्तार से लेख व विवरण प्रस्तुत जाने वाली टिपण्णी होती है |
सामान्य टिप्पणी
यह वह टिप्पणी होती है जो आवेदन पत्र अथवा पत्र पर लिखी जाती है जिसके निस्तारण के लिए किशी भी प्रकार की फाइल अथवा अन्य सम्बंधित दस्तावेजों की आवश्यकता नहीं होती | एइसे टिप्पणियों पर निर्णय अथवा अनुमोदन सम्बंधित दस्तावेस पर ही दे दिया जाता है |
Received similar copy -     समान प्रति प्राप्त हुई
Forwarded            -     प्रेषित
विभागीय टिपण्णी :
     जो टिपण्णी विभागीय |स्तर पर एक विभाग से दूसरे विभाग अथवा एक अनुभाग से दूसरे अनुभाग को किसी विशेष प्रयोजन, सुचना एवं जानकारी प्राप्त करने के लिए लिखी जाती है, विभागीय टिपण्णी कहलाती है |

नेमी कार्यालयी टिपण्णी
     यह वह टिपण्णी होती है जिसका प्रयोग दैनिक कामकाज को निपटाने के लिए अलग-अलग प्रकार की फाइलों व पत्रों पर लिखी जाती है | यह अन्य टिप्पणियों की तुलना में बहुत छोटी होती है | दूसरे शब्दों में दैनंदिन कामकाज को चलने के लिए जो विभिन्न फाइलों पर छोटी छोटी टिप्पणियां लिखी जाती हैं, नेमी कार्यालयी टिप्पणियाँ कहलाती है |
जैसे –

Approved – अनुमोदित
Sanctioned स्वीकृत/मंजूर
Please fileकृपया फाइल करें
Please discuss – कृपया चर्चा करें



सूक्ष्म टिपण्णी :
     यह वह टिपण्णी होती है जिसे प्राय: अधिकारी सम्बंधित पत्र के बाँई ओर लिखते है | जो सामान्यतः संक्षिप वाक्य के रूप में होता है | उसे शुक्ष्म टिपण्णी कहा जाता है |
जैसे –
स्वीकृति के लिए
अवलोकनार्थ
सम्मति हेतु

टिपण्णी लेखन के आवश्यक गुण
टिपण्णी लेखा में निम्नलिखित गुण होती चाहिए
विषय का ज्ञान
यदि टिपण्णी के लेखक को विचाराधीन विषय का पूर्ण ज्ञान होता है तो वह कुशलता के साथ टिपण्णी लिख लेता है | अतः टिपण्णी लेखक की विषय का ज्ञान होना चाहिए
निष्पक्ष अभिव्यक्ति:
टिपण्णी लेखक को सरता निष्पक्ष होना चाहिय और टिपण्णी लिखते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए की टिपण्णी पर  पक्षपात का आरोप इ लग सके |
भाषा पर अधिकार
     टिपण्णी लेखक को भाषा पर पूर्ण विचार रखना चाहिए जिससे वह विचाराधीन विषय के उपयुक्त भाषा में टिपण्णी लिख सके और उसकी टिप्पणी में अति व्याप्ति दोष न आ सके |



टिप्पणी लेखन में प्रयोग होने वाले कुछ वाक्यांश
कार्यालयों में प्रायः प्रयोग में आने वाली अभिव्यक्तियों, टिप्पणीयों के उदहारण वर्णक्रमानुसार प्रस्तुत हैं जिससे कार्यालयीन कामकाज में अंतर्निहित भावभी व्यक्तियों व् भाषा की बानगी का आंकलन किया जा सकता है टिप्पणी लेखन में प्रयोग होने वाले कुछ वाक्यांश निम्न प्रकार प्रस्तुत है -

Above cited                            -       ऊपर दिया गया
Above mentioned                    -            ऊपर लिखे हुए
Based on fact                         –           तथ्यों पर आधारित
Bearing of question                          प्रश्न से संबंधित
Call for an explanation            –           स्पस्तिकर्ण मांगना
Cannot be acceded to             –           स्वीकार नहीं किया जा सकता
Draft may be amended           –           प्रारूप को तदनुसार संशोधित
Due account of                       –           उचित रूप से हिसाब देना
Earliest possible moment        –           यथासंभव शीघ्र
Early reply is solicited            –           उत्तर शीघ्र भेजने की प्रार्थना है
For administrative approval – कृपया प्रशासनिक अनुमोदन करें
Formal approval is necessary –           औपचारिक अनुमोदन आवश्यक है |
Give top priority to this case –            कृपया इस ममले को परम अग्रता दी जाए
Grant has been sanctioned     -      अनुदा मंजूर कर दिया गया है
Half day allowance not admissible       -        आधा दैनिक भत्ता देय नहीं
Has been repeatedly told                    -        को बार बार बताया गया है
In case of any difference        -           किसी मतभेद की स्थिति में
In principle accepted              -           सिद्धांत रूप में स्वीकृत
Justification                           -           औचित्य
Justified by the court              -           न्यायलय द्वारा न्यायानुमत
Keeping in view                      -           को ध्यान में रखते हुए
Keep matter pending              -           मामले को लटका दें
Licensed to work                    -           कार्य के लिए लाइसेंस्ड प्राप्त
Line of action is needed          -           कार्य की दिशा आवश्यक है
Matter is under consideration -       मामला विचाराधीन है
Matter may be approved         -      कृपया मामलों का अनुमोदन करें
Notice Inviting tenders            -           निविन्दा मांगने की सूचना
No such allowance be passed-       वैसा कोई भत्ता पास न किया जाए
Obtain sanction formally         -      औपचारिक स्वीकृति लें
On the completion of probation -          परिवीक्षा की समाप्ति पर
Please discuss                       -      कृपया बात करें
Progress made during the year -         वर्ष के दौरान की गई प्रगति
may be reported                            की सूचना दी जाए
Quotations may be obtain    -      भाव दरें प्राप्त की जा सकती है
Quick action is required –           मामले में तत्काल कार्रवाई अपेक्षित है  
in the case
Reliable evidence is lacking -    विश्वसनीय साक्ष्य का आभाव है
Report of progress is still awaited -     प्रगति रिपोर्ट की अभी प्रतीक्षा है
Sanctioned as proposed  -        सुझाव के अनुरूप स्वीकृत
Suspended from service  -     नौकरी से निलंबित किया जाना
Temporary post may be   -        अस्थायी पदों को स्थायी पदों में
Converted into permanent         बदल दिया जाए
Trace out the previous paper     -        पहले की कागजातों का पता लगाएं
 Urgent action is required         - तुरंत कार्रवाई अपेक्षित है
Utmost care may be taken        -अत्यधिक सावधानी राखी जाए
Verified and found correct         -        सत्यापन किया गया और ठीक पाय[
 गया   
Verified copy of certificate         -        प्रमाण पत्र की सत्यापित प्रति
Without any further delay          -        बिना किसी विलम्ब के
With reference to                  -        के सन्दर्भ में
Your approval is essential         -     आपकी स्वीकृति अनिवार्य है
Your advice is essential            -        आपकी सलाह अनिवार्य है
Zeal and just may be appreciated -      उत्साह और उमंग की प्रशंसा की जाये
Zonal council my be informed    -        आंचलिक परिषद् की तद्निसार सूचित
accordingly                       किया जाए



निष्कर्ष
     हिंदी के विविध रूपों में प्रयोजनमूलक हिंदी का स्वरुप, क्षेत्र तथा प्रयोग अधिक विस्तृत रूप में हैं | दैनिक जीवन में हम जिस भाषा का प्रयोग करते हैं उससे अलग प्रयोजन मूलक हिंदी की भाषा है |
कार्यालयों में कई रूपों में हिंदी भाषा का प्रयोग होता हैं | कार्यालयी में हिंदी  टिप्पणी, प्रारूपण, संक्षेपण, प्रतिवेदन, तथा अनुवाद आदि के रूपों में हिंदी भाषा का प्रयोग होता है | इस विशिष्ट प्रयोजन को कार्यालयी हिंदी कहते हैं | कार्यालयी टिप्पण में विभिन्न प्रकार के हिंदी वाक्यांशों का प्रयोग किया जाता है | जो किसी न किसी उद्देश्य को पूर्ण करता है |
कार्यालयी में हिंदी का प्रयोग केवल सरकारी तथा अर्धसरकारी कार्यालयों में ही नहीं बल्कि कई कार्यालयों में भी हिंदी का प्रोग होनी चाहिए |`









संदर्भ ग्रंथ सूची

1.  प्रयोजनमूलक प्रशासनिक हिंदी , लेखक : डॉ. दिनेश चमोला शैलेश’, प्रकाशक अदिश प्रकाशन, देहरादून  248005, प्रथम संस्करण 2006 |

2.  प्रयोजनमूलक हिन्दी : सिद्धान्त और प्रयोग, लेखक : डॉ. दंगल झाल्टे, प्रकाशक : वाणी प्रकाशन नयी दिल्ली 110002 प्रथम संस्करण  1996 |

3.  प्रयोजनमूलक हिन्दी के आधुनिक आयाम, लेखक : डॉ. महेंद्रसिंह राणा, प्रकाशक : हर्ष प्रकाशक, आगरा.  द्वितीय संस्करण 2004